प्रश्न :- korona kee vyaakhya keejiye tatha sampreshan lain ke kaary-nishpaadan par isake prabhaav kee vivechana keejiye
उत्तर :- लाइन में वोल्टतामान अधिक उच्च होने पर चालक तल पर प्रतिबल इतना बढ़ जाता है कि चालक के चारों और की वायु भंजित होकर सचालक बन जाये। अधिक उच्च वोल्टताओं पर वायु की सुचालक परत भी चालक तल पर अधिकतम प्रतिबल का मान कम हो जाता है। चालक के चारों ओर वायु भंजन को कोरोना कहते है। यदि लाइन में चालकों के मध्य दूरी, चालकों के व्यास की तुलना में बहुत अधिक हो और लाइन को प्रत्यावर्ती वोल्टता को बढ़ाया जाये तो एक अवस्था में चालक के चारों ओर की वाय. शी-शी-शी (Hissing) की ध्वनि के साथ भंजित होगी तथा चालक के चारों ओर जामुनी रंग की हल्के प्रकाश की दीप्ति का आभास होगा। यह ध्वनि ओजोन गैस की उत्पत्ति के कारण होती है जिसका आभास ओजोन को विशेष गन्ध से होता है। ये सभी कोरोना उत्पत्ति के लक्षण कहलाते हैं। सम्प्रेषण लाइन के कार्य-निष्पादन, कोरोना का निम्न प्रभाव है-
(i) कोरोना उत्पत्ति से चालक की सतह के पास वायु के सुचालक होने के कारण चालक को वास्तविक त्रिज्या बढ़ जाती है. जिसके कारण चालक के मध्य अन्तराल और चाल त्रिज्या का अनुपात कम हो जाने से चालक सतह से प्रतिबल कम हो जाते हैं और चालकों के मध्य चिंगारी की कोई सम्भावना नहीं रहती हैं।
(ii) चालक तड़ित तथा अन्य कारणों द्वारा धारा अधिक संचरित की जा सकती है।
(iii) तड़ित तथा अन्य कारणों द्वारा क्षणिक प्रभाव उत्पत्ति की सम्भावनाएँ समाप्त हो जाती है।
(iv) बहुत बड़ी तरंगों वाली वोल्टता द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का कुछ अंश कोरोना क्षति के रूप में समाप्त हो जाता है।
(v) संचरण लाइन में वोल्टतापात तथा चालकों में प्रतिरोध के कारण शक्ति-हानि मान कम हो जाती है, क्योकि चालक का प्रभावी परिच्छेद अधिक हो जाता है।
(vi) कोरोना हानि से संचरण दक्षता कम हो जाती है।
(vii) उत्पन्न ओजोन गैस लाइन में उपयोगिता सामग्री क्षतिग्रस्त करती है।
(viii) कोरोना का अज्यावक्रीय धारा के कारण लाइन अज्यावक्रीय वोल्टतापात से निकटवर्ती संचार लाइने प्रभावित होती हैं।
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